Renowned for her voice range and often credited for her versatility, Bhosle's work includes film music, pop, ghazals, bhajans, traditional Indian Classical music, folk songs, qawwalis, Rabindra Sangeets and Nazrul Geetis. She has sung Hindi, Assamese, Urdu, Telugu, Marathi, Bengali, Gujarati, Punjabi, Tamil, English, Russian, Czech, Nepali, Malay and Malayalam.
In 2006, Asha Bhosle stated that she had sung over 12,000 songs, a figure repeated by several other sources. The World Records Academy, an international organization which certifies world records, recognized her as the "Most Recorded Artist" in the world, in September 2009. The Government of India honoured her with the Dadasaheb Phalke Award in 2000 and the Padma Vibhushan in 2008.
Mujhe Gale Se Laga Lo..
Asha Bhosle Lyrics
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बहुत उदास हु मै
हमे जहा से छुड़ा लो
बहुत उदास हु मै
मुझे गले से लगा लो
नज़र में तीर से चुभते है
अब नज़रो सेमैं थक गयी हूँ
सभी टूटे सहरो से
अब और बोझ न डालो
बहुत उदास हु मै
मुझे गले से लगा लो
बहुत सही ग़म ए दुनिया
मगर उदास न हो
करीब है शब् ए ग़म
की सहर उदास न हो
बहुत सही ग़म ए दुनिया
सितम के हाथ की तलवार टूट जाएगी
ये ऊँच नीच की दीवार टूट जाएगी
तुझे कसम है मेरी
हमसफ़र उदास न हो
बहुत सही ग़म ए दुनिया
न जाने कब ये तरीका
ये तौर बदलेगा
सितम का ग़म का
मुसीबत का दौर बदलेगा
मुझे जहा से उठा लो
बहुत उदास
The lyrics to Asha Bhosle's song "Mujhe Gale Se Laga Lo" express a deep feeling of sadness and longing for comfort. The opening lines "Mujhe gale se laga lo, bahut udas hoon main" tell the listener that the singer is feeling very sad and needs someone to hold her close. She goes on to say "Hamein jahaan se chhuda lo, bahut udas hoon main" which means she wants to escape from the sadness and be taken to a different place. The repetition of "Mujhe gale se laga lo" throughout the song emphasizes the need for comfort and reassurance.
The second verse talks about how the singer is tired of feeling the pain and sadness, and wants to be relieved of the burden. The line "Sabhi toote seharon se, ab aur bojh na daalo" suggests that the singer has gone through a lot in life and can't take any more. The third verse takes a different twist as the singer acknowledges that the world is full of pain and sadness but urges the listener to not be sad. She says "Bahut sahi gham-e-duniya, magar udaas na ho" meaning life is full of sadness but don't be upset.
The final verse talks about how change is inevitable, and someday the pain, misery, and sadness will all pass. The line "Mujhe jahan se utha lo, bahut udas hoon main" means that the singer wants to be lifted from her current state of sadness. Overall, the song expresses a deep longing for comfort, escape, and reassurance during times of sadness and pain.
Line by Line Meaning
मुझे गले से लगा लो
Please hug me tightly.
बहुत उदास हु मै
I am very sad.
हमे जहा से छुड़ा लो
Take me away from here.
नज़र में तीर से चुभते है
My eyes are filled with pain.
अब नज़रो से
Now, I am tired.
मैं थक गयी हूँ
I am exhausted.
सभी टूटे सहरो से
All my hopes are shattered.
अब और बोझ न डालो
Don't burden me anymore.
बहुत सही ग़म ए दुनिया
Worldly sorrows are indeed too much.
मगर उदास न हो
But don't be sad.
करीब है शब् ए ग़म
The night of sadness is near.
की सहर उदास न हो
But let the morning not be sad.
सितम के हाथ की तलवार टूट जाएगी
The sword of cruelty will eventually shatter.
ये ऊँच नीच की दीवार टूट जाएगी
The walls of class differences will eventually break.
तुझे कसम है मेरी
You have my word.
हमसफ़र उदास न हो
Don't be sad, my companion.
न जाने कब ये तरीका
I don't know when this situation will change.
ये तौर बदलेगा
This trend will change.
सितम का ग़म का
The pain of cruelty and suffering,
मुसीबत का दौर बदलेगा
Will eventually pass.
मुझे जहा से उठा लो
Please take me away from here.
बहुत उदास हु मै
I am very sad.
Lyrics © O/B/O APRA AMCOS
Written by: RAVI, SAHIR LUDHIANVI
Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
@AshokKumar-or8df
छोटा रहा होऊँगा तकरीबन 13 - 14 बरस का तो उन दिनों कभी - कभार रेडियो पर बचपन में सुना होगा यह गीत ;
ऐसा याद पड़ता है ।
तब ज्यादा गौर नहीं किया कभी ।
एक किशोर बच्चे की समझ तब इतने मार्मिक , गम्भीर गीत की कहाँ थी !
जिंदगी की मसरूफियतों में बहुत कुछ छूट जाता है।
लेकिन ये गीत अवचेतन में जड़ें जमाए रहा और मैं इसे कभी भूल नहीं पाया ।
धुनें , बोल कानों में गूँजते रहे सदा ।
फिर जब नेट आया 2G मेरी पहुँच में तब करीब 15 - 16 बरस पहले गीतों की स्मृतियों / यादों की लहर में इस गीत को उस रात यू ट्यूब से ऑडियो फाइल में लोड कर अकेले में सुना।
उस रात यह गीत तमाम बार सुना तो आँसू गालों से झरने से पूरी रात बहते रहे ।
फिर जब भी कभी इसे सुना तो आँसुओं का बाँध कभी रुका नहीं ।
अलग - अलग फाइलें इस गीत की सुनीं बहुत बार तो फाइलों में भिन्नता लगी । शब्दों / बोलों को सुनकर ।
अंततः 4G के आने के बाद यह फिल्म आखिरकार देखी तब पता चला कि यह गीत ही फिल्म में दो बार बजाया गया है ।
गौर करने पर ही पता लगता है कि दोनों हिस्सों में बोलों में अंतर है ।
बहुत संभव है कि पूरा गीत ( दोनों हिस्से ) एक ही बार में रिकार्ड किए गए होंगे ।
खैर ,
साहिर साहब की कलम का जबाब ढूँढना मुश्किल है !
"नजर में तीर से चुभते हैं
अब नजारों से
मैं थक गई हूँ
सभी टूटते सहारों से
अब और बोझ न डालो
बहुत उदास हूँ मैं
हमें जहां से छुड़ा लो
बहुत उदास हूँ मैं
मुझे गले से लगा लो....."
गीत बहुत धीरे से रवि जी के सधे हुए बेहद कम साजों के साथ जिस अंदाज में आशा दी की दर्द में डूबी आवाज से शुरु होता है वह सुनने वाले को शुरु में ही अंदर तक हिला देता है ।
आशा दी गले की गहराई से बहुत सधी आवाज में गाती हैं तब आशा दी की आवाज और नंदा जी एकाकार हो उठती हैं ।
सुनील जी का अंदाज और अभिनय सबसे जुदा नजर आता है।
सुजाता (1959) के सुनील फिर निखरते ही गए !
आवाज में थिरकन एक विशिष्ट प्रभाव छोड़ती जाती है।
रवि साहब ( पंडित रवि शंकर शर्मा ) ने फिर 1:4 0 से 1:50 तक साज - सुरों की तीव्रता, ऊँचाई जिस तरह रच दी है वह हृदय को अंदर तक झकझोर जाती है ।
रवि साहब के संगीत से सजे सैकडों गीत हृदय में दीपक की ज्योति से चमकते ही रहते हैं ।
रफी साहब जब 1:50 से 2:25 तक जब गाते हैं तो सारी साँसें एकबारगी थम सी जाती हैं सुनते वक्त !
"बहुत सहे गम ए दुनिया
मगर उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया
मगर उदास न हो
करीब है शब ए गम
की सहर उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया....."
एकदम से रफी साहब की आवाज भारी हो जाती है ! ( रुँधे गले का अहसास )
इस उतार चढ़ाव में रफी साहब के सुर , शब्दों को अलग अलग महसूस करना कितना आसान लगता है।
इस तरह के अंदाज /शैली / उतार - चढ़ाव लिए रफी साहब का कोई दूसरा गीत ध्यान नहीं आता ।
3:07 से 3:08 में "उदास" शब्द को किस चमकारिक अंदाज में रफी साहब गाते हैं !
वे "उदास" में 'स' बोलते हुए 'ज' जैसा कितनी खूबसूरती से गा जाते हैं ।
दोनों के बीच एक अदृश्य अक्षर !
रफी साहब बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं पर हजारों - हजार बार उन्हें सुनकर , याद करके ये आँखें गंगा - जमुना बन बही हैं ।
"तुझे कसम है
मेरी हमसफर
उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया....."
रफी साहब !
आशा दी
सुनील जी
नंदा जी
साहिर जी
रवि जी के सभी चाहने वालों को मेरा दिली सलाम ।☺️🌷🙏🌹👏❤️
@ameena-ki7tg
On the screen.
Sunil dutt..with..
❤bahut sahi ~~~~~ >>>>>
Yaad kijiye... mera saya..
Again Sunil dutt.. with..
❤aapke pehlu mein aaker >>>
😊 mahaul mein..udaasiyaan..
Tanhayee.. ka.. APNA MAHAL*
Mann ke bhitar..
@AshokKumar-or8df
छोटा रहा होऊँगा तकरीबन 13 - 14 बरस का तो उन दिनों कभी - कभार रेडियो पर बचपन में सुना होगा यह गीत ;
ऐसा याद पड़ता है ।
तब ज्यादा गौर नहीं किया कभी ।
एक किशोर बच्चे की समझ तब इतने मार्मिक , गम्भीर गीत की कहाँ थी !
जिंदगी की मसरूफियतों में बहुत कुछ छूट जाता है।
लेकिन ये गीत अवचेतन में जड़ें जमाए रहा और मैं इसे कभी भूल नहीं पाया ।
धुनें , बोल कानों में गूँजते रहे सदा ।
फिर जब नेट आया 2G मेरी पहुँच में तब करीब 15 - 16 बरस पहले गीतों की स्मृतियों / यादों की लहर में इस गीत को उस रात यू ट्यूब से ऑडियो फाइल में लोड कर अकेले में सुना।
उस रात यह गीत तमाम बार सुना तो आँसू गालों से झरने से पूरी रात बहते रहे ।
फिर जब भी कभी इसे सुना तो आँसुओं का बाँध कभी रुका नहीं ।
अलग - अलग फाइलें इस गीत की सुनीं बहुत बार तो फाइलों में भिन्नता लगी । शब्दों / बोलों को सुनकर ।
अंततः 4G के आने के बाद यह फिल्म आखिरकार देखी तब पता चला कि यह गीत ही फिल्म में दो बार बजाया गया है ।
गौर करने पर ही पता लगता है कि दोनों हिस्सों में बोलों में अंतर है ।
बहुत संभव है कि पूरा गीत ( दोनों हिस्से ) एक ही बार में रिकार्ड किए गए होंगे ।
खैर ,
साहिर साहब की कलम का जबाब ढूँढना मुश्किल है !
"नजर में तीर से चुभते हैं
अब नजारों से
मैं थक गई हूँ
सभी टूटते सहारों से
अब और बोझ न डालो
बहुत उदास हूँ मैं
हमें जहां से छुड़ा लो
बहुत उदास हूँ मैं
मुझे गले से लगा लो....."
गीत बहुत धीरे से रवि जी के सधे हुए बेहद कम साजों के साथ जिस अंदाज में आशा दी की दर्द में डूबी आवाज से शुरु होता है वह सुनने वाले को शुरु में ही अंदर तक हिला देता है ।
आशा दी गले की गहराई से बहुत सधी आवाज में गाती हैं तब आशा दी की आवाज और नंदा जी एकाकार हो उठती हैं ।
सुनील जी का अंदाज और अभिनय सबसे जुदा नजर आता है।
सुजाता (1959) के सुनील फिर निखरते ही गए !
आवाज में थिरकन एक विशिष्ट प्रभाव छोड़ती जाती है।
रवि साहब ( पंडित रवि शंकर शर्मा ) ने फिर 1:4 0 से 1:50 तक साज - सुरों की तीव्रता, ऊँचाई जिस तरह रच दी है वह हृदय को अंदर तक झकझोर जाती है ।
रवि साहब के संगीत से सजे सैकडों गीत हृदय में दीपक की ज्योति से चमकते ही रहते हैं ।
रफी साहब जब 1:50 से 2:25 तक जब गाते हैं तो सारी साँसें एकबारगी थम सी जाती हैं सुनते वक्त !
"बहुत सहे गम ए दुनिया
मगर उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया
मगर उदास न हो
करीब है शब ए गम
की सहर उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया....."
एकदम से रफी साहब की आवाज भारी हो जाती है ! ( रुँधे गले का अहसास )
इस उतार चढ़ाव में रफी साहब के सुर , शब्दों को अलग अलग महसूस करना कितना आसान लगता है।
इस तरह के अंदाज /शैली / उतार - चढ़ाव लिए रफी साहब का कोई दूसरा गीत ध्यान नहीं आता ।
3:07 से 3:08 में "उदास" शब्द को किस चमकारिक अंदाज में रफी साहब गाते हैं !
वे "उदास" में 'स' बोलते हुए 'ज' जैसा कितनी खूबसूरती से गा जाते हैं ।
दोनों के बीच एक अदृश्य अक्षर !
रफी साहब बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं पर हजारों - हजार बार उन्हें सुनकर , याद करके ये आँखें गंगा - जमुना बन बही हैं ।
"तुझे कसम है
मेरी हमसफर
उदास न हो
बहुत सहे गम ए दुनिया....."
रफी साहब !
आशा दी
सुनील जी
नंदा जी
साहिर जी
रवि जी के सभी चाहने वालों को मेरा दिली सलाम ।☺️🌷🙏🌹👏❤️
@you2beBoy2.0
🥹😥
@rampyare9438
Nice. Comnt
@anwermalik9124
Very comprehensive with deep understanding of the words make the remarks remarkable. Salute.
@kirandalal2011
Superb composition of Raviji, sungs sweetly by Ashaji and Rafiji. A golden era song of golden era film Aaj Aur Kal.
@look2425
What a soulful rendition by Asha and Rafi What an elegant composition by Ravi Thank God My life seems fulfilled
@baldevkular3366
My heartiest tributes to the great persons who composed, sang ,displayed & preserved this ever green; very sweet & soothing melody full of love & affection.
@jaswantraisingla5676
Every thing is fine in this song
@ravindrahemmanur3395
I have no intentions to belittle any.
Those times were par excellence in every respect and from every angle. Movie goers too were as classic as the entire film industry. We patronised such. And they served what we loved and respected.
Like every country gets the government it deserves.
Audience get what majority of them prefer.
Thank you for uploading.
@baldevkular3366
What an immense Melody of immense love & affection!!!